आस्था या लापरवाही? महाकाल मंदिर में भांग श्रृंगार गिरने से विवाद गहराया: वायरल वीडियो के बाद प्रशासन ने पुजारी को थमाया नोटिस, मांगा जवाब!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

कहते हैं महाकाल के दरबार में हर घटना का एक संकेत होता है… लेकिन जब 18 अगस्त को शिवलिंग पर चढ़ाई गई भांग अचानक बिखरकर नीचे गिरी… तो मंदिर में मौजूद भक्तों की धड़कनें थम गईं। आखिर ये आस्था की परीक्षा थी, या परंपरा में हुई कोई अनदेखी गलती?

दरअसल, उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के श्रृंगार के दौरान अचानक एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। भाद्रपद मास की शाही सवारी के दिन यानी 18 अगस्त को शिवलिंग पर चढ़ाई गई भांग का श्रृंगार अचानक टूटकर बिखर गया। वहां मौजूद पंडे और पुजारियों ने तुरंत ही श्रृंगार को ठीक कर दिया, लेकिन यह दृश्य कैमरे में कैद हो गया और देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

घटना कैसे हुई?

इस दिन भगवान महाकाल की राजसी सवारी रामघाट पर शिप्रा जल से पूजन के बाद मंदिर लौट रही थी। गर्भगृह में श्रृंगार की तैयारी पूरी हो चुकी थी, तभी श्रृंगार के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाई गई भांग अचानक टूटकर गिर गई। मंदिर परिसर में मौजूद भक्त और पुजारी इस नजारे को देख हैरान रह गए। हालांकि, कुछ ही देर में पुजारियों ने मिलकर श्रृंगार को फिर से व्यवस्थित कर दिया।

इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने सख्ती दिखाई। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने श्रृंगार करने वाले पुजारी प्रदीप गुरु को नोटिस जारी करते हुए उनसे दो दिन में जवाब मांगा है। आरोप है कि पुजारी ने तय मात्रा से अधिक भांग का उपयोग कर दिया था, जिसके कारण श्रृंगार शिवलिंग पर टिक नहीं पाया और टूट गया।

3 किलो भांग की तय परंपरा

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन भस्म आरती, संध्या आरती और शयन आरती के दौरान भगवान का श्रृंगार किया जाता है। परंपरा के अनुसार, भांग का श्रृंगार लगभग 3 किलो भांग से किया जाता है। यह मात्रा मंदिर समिति द्वारा निर्धारित है और इसे पर्व तथा अवसरों के अनुसार सजावट में शामिल किया जाता है।

पुजारी की सफाई: ‘नमी के कारण गिरी भांग’

नोटिस पाने वाले पुजारी प्रदीप गुरु ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने मंदिर समिति द्वारा निर्धारित मात्रा में ही भांग का श्रृंगार किया था। बारिश के मौसम और गर्भगृह की नमी के कारण भांग शिवलिंग पर टिक नहीं पाई। शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाने से सतह पर चिकनाई थी, जिसके चलते भांग फिसल गई। पुजारी का कहना है कि यह एक प्राकृतिक घटना थी, लापरवाही नहीं।

पुजारी प्रदीप गुरु ने यह भी स्पष्ट किया कि महाकाल का हर श्रृंगार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुरूप ही किया जाता है। गर्भगृह में शिवलिंग क्षरण को रोकने और उनकी पवित्रता बनाए रखने के लिए कोर्ट द्वारा तय नियमों के अनुसार ही सामग्री का उपयोग होता है। भांग, चंदन, मेवे और अन्य सामग्री की शुद्धता जांचने के बाद ही उसे भगवान को अर्पित किया जाता है।

धार्मिक मान्यता: क्यों चढ़ाई जाती है भांग?

महाकालेश्वर मंदिर में भांग का श्रृंगार कोई साधारण परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए औषधीय गुणों से युक्त भांग अर्पित की जाती है। कथा यह भी है कि जब समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, तब उनकी पीड़ा कम करने और शीतलता प्रदान करने के लिए भांग चढ़ाई गई थी। यही कारण है कि आज भी महाकालेश्वर मंदिर में भांग के श्रृंगार की परंपरा जारी है।

अब बड़ा सवाल यही है कि 18 अगस्त को हुई यह घटना वास्तव में केवल नमी की वजह से हुई प्राकृतिक व्यवस्था थी या फिर श्रृंगार परंपरा में लापरवाही बरती गई? पुजारी प्रदीप गुरु अपना जवाब लिखित रूप में मंदिर समिति को सौंपेंगे, जिसके बाद प्रशासनिक स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

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